देश में हर साल ब्रेन ट्यूमर के करीब पचास हजार नए मामले सामने आते हैं। ब्रेन ट्यूमर के कई लक्षण बेहद सामान्य होते हैं, जिन्हें अकसर अनदेखा कर दिया जाता है। शुरुआती स्तर पर पुष्टि से न सिर्फ तेजी से उपचार संभव है, बल्कि दूसरी समस्याएं होने का खतरा भी कम होता है। कैसे, बता रही है शमीम खान
नामी कंस्ट्रक्शन कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर मयंक श्रीवास्तव (उम्र 34 वर्ष) को पता नहीं था कि मामूली सा सिरदर्द उसके लिए जानलेवा साबित हो जाएगा। उसे अकसर सिर दर्द होता था, पर मयंक को लगता कि काम की अधिकता और अतिव्यस्तता के कारण ऐसा हो रहा है। पर, जब पिछले महीने सिलसिला इतना बढ़ गया कि सुबह-सुबह उसकी दर्द से नींद खुलने लगी, याददाश्त कमजोर होने लगी, वह, प्रोजेक्ट से जुड़ी जरूरी बातें भूलने लगा। एक दिन ऑफिस में काम करते हुए बेहोश हो गया। तब जांच में पता चला कि मस्तिष्क में ग्रेड – 4 का ट्यूमर विकसित हो गया है, जिसके ठीक होने की संभावना बहुत कम है। वैसे हर सिरदर्द ब्रेन ट्यूमर नहीं होता। न ही मस्तिष्क में विकसित होने वाली हर गांठ कैंसर ही होती है, पर सही समय पहचान न होना खतरा बढ़ा देता है। गाजियाबाद के वैशाली स्थित मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. मनीष वैश्य के अनुसार, हमारे शरीर की कोशिकाएं जब असामान्य रूप से विकसित और विभाजित होने लगती हैं, तब वे एक जगह इकट्ठी होकर ट्यूमर बना लेती हैं, जो एक उभार या गांठ के रूप में नजर आता है। जब यह प्रक्रिया मस्तिष्क या उसके आसपास होती है तो उसे ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। मस्तिष्क शरीर का बड़ा ही आवश्यक व संवेदनशील भाग है, इसमें ट्यूमर होना कई तरह से असर डाल सकता है। हालांकि, समय पर सही उपचार से ठीक होने की संभावना भी काफी बढ़ जाती है। ब्रेन ट्यूमर के दो प्रकार होते हैं। कैंसरयुक्त ट्यूमर को मैलिग्नेंट और कैंसर रहित ट्यूमर को बिनाइन कहते हैं। बिनाइन ट्यूमर घातक नहीं होते हैं। मैलिग्नेंट को उसके विकसित होने के स्थान के आधार पर पुनः दो भागों में बांटा जाता है। जब ट्यूमर सीधे मस्तिष्क में विकसित होता है तो इसे प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। पर, जब कैंसर शरीर के किसी दूसरे भाग में होता है और वहां से मस्तिष्क के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाता है तो उसे सेकेंडरी या मेटास्टैटिक ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। ब्रेन ट्यूमर धीरे (लो-ग्रेड) या तेजी (हाई ग्रेड) से विकसित हो सकते हैं और उपचार के बाद फिर से वापस आ सकते हैं।
ये लक्षण हो सकते हैं संकेत
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण इस पर निर्भर करते हैं कि ट्यूमर मस्तिष्क के किस भाग में विकसित हुआ है, उसका आकार कितना बड़ा है और वह किस प्रकार का है। मस्तिष्क में विकसित होने वाले ट्यूमर 100 से अधिक तरह के होते हैं और इन सब में अलग-अलग प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं। ये लक्षण हैं-
■ मामूली सिर दर्द का धीरे-धीरे गंभीर हो जाना
■ सुबह-सुबह सिर दर्द से नींद खुल जाना।
■ सिर दर्द के साथ उल्टी महसूस होना, छींक या खांसी आना।
■ बोलने और सुनने में दिक्कत होना। शारीरिक और मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाना।
■ दृष्टि कम होना, धुंधला दिखाई देना।
■ हाथों और पैरों में कमजोरी महसूस होना।
■ तनाव, चिड़चिड़ापन व याद्दाश्त कमजोर होना।
डॉ. शर्मा कहते हैं, ‘कैंसर के खिलाफ जंग में हौसला रखना बहुत जरूरी है। मरीज का हिम्मत छोड़ना, जीने की चाह न होना, नतीजों पर असर डालता है। ब्रेन ट्यूमर को एक गंभीर प्रकार का कैंसर माना जाता है, पर इससे घबराने की जरूरत नहीं है। समय रहते उपचार से इससे होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। बल्कि बाद में सामान्य जीवन भी “जिया जा सकता है। कैंसर रहित ट्यूमर एक बार ठीक होने पर दोबारा नहीं होता।
रोकथाम के तीन जरूरी कदम
पहलाः खतरे के संकेतों पर नजर
हर सिर दर्द ब्रेन ट्यूमर नहीं होता है, पर कुछ रेड फ्लैग्स हैं, जब सजगता जरूरी है। वयस्क कभी-कभी नींद या काम के कारण होने वाला सिर दर्द आराम करने या पेन किलर से ठीक हो जाता है। पर, आधी रात को सिर दर्द होने से नींद खुलना, अचानक बहुत उल्टी होना, कभी-कभी आंखों के आगे अंधेरा छाना या मामूली जोड़-घटा न कर पाना आदि पर ध्यान दें। छोटे बच्चे छोटे बच्चों में लक्षण समझने में दिक्कत होती है, पर माता-पिता को सजग रहना चाहिए
■ बच्चा किताब बहुत नजदीक से पढ़ रहा है।
■ ब्लैकबोर्ड पर लिखा नहीं समझ पाता।
■ अचानक बोलने में लड़खड़ाना या चलने में संतुलन न बना पाना। नवजात शिशु : बहुत छोटे बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाएं अगर
■ बच्चा दूध नहीं पी रहा है। एक्टिव नहीं है, हमेशा सोया रहता है।
■ सिर व गर्दन को होल्ड नहीं कर पा रहा है।
दूसरा कदमः जांच
जांच से ही पता चलेगा की गांठ का आकार कितना है और वो किस चरण पर है। डॉक्टर कुछ जरूरी जांच करा सकते हैं, जैसे
■ एमआरआई
■ सीटी स्कैन ।
■ एजियोग्रॉफी।
■ स्कल्प एक्स-रे
■ बायोप्सी
गांठ बहुत धीरे बढ़ रही है तो डॉक्टर थोड़ा समय ले सकते हैं, पर ट्यूमर हाई ग्रेड है तो तुरंत उपचार जरूरी है। कुछ ट्यूमर इतनी तेजी से बढ़ते हैं कि पुष्टि के 9-12 महीने में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है। रेड फ्लैग्स दिखाई देने पर बिल्कुल देरी न करें।
तीसरा कदमः उपचार
अत्याधुनिक तकनीकों ने ब्रेन ट्यूमर के उपचार की सफलता दर को बढ़ा दिया है। अगर गांठ उचित स्थान पर है तो इसे सर्जरी से निकाल दिया जाता है। डॉ. वैश्य कहते हैं, ‘माइक्रो एंडोस्कोपिक सर्जरी (एमईएस) ने ब्रेन ट्यूमर के लिए की जाने वाली सर्जरी को आसान बनाया है । एमईएस से पूरे ट्यूमर को निकाल दिया जाता है। अगर पूरी गांठ निकालना संभव नहीं है तो अधिक से अधिक भाग को निकाल देते हैं। ब्रेन रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, टारगेट ड्रग थेरेपी और रेडियो सर्जरी भी की जाती है। रेडियो सर्जरी, अत्याधुनिक उपचार है, यह एक ही सीटिंग में हो जाता है। इसमें कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारने के लिए रेडिएशन की कई बीम्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक बिंदु (ट्यूमर) पर फोकस होती हैं। इसमें विभिन्न प्रकार की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे गामा नाइफ या लीनियर एक्सेलेटर। रेडिएशन थेरेपी की तुलना में इसकी सफलता दर अच्छी है।
बचाव के उपाय
जीवनशैली में परिवर्तन लाना जैसे नियमित रूप से एक्सरसाइज करना, पोषक और संतुलित भोजन का सेवन करना और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन, शरीर को अधिक शक्तिशाली और ट्यूमर के विकास के लिए अधिक रेजिस्टेंट बनाता है। इसके अलावा इन बातों का भी ध्यान रखें:
■ अपना भार औसत बनाए रखें।
■ शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
■ धूम्रपान नहीं करें, न ही तंबाकू का सेवन करें।
■ अत्यधिक वसायुक्त भोजन का सेवन न करें और अधिक मीठे पेय पदार्थों से बचें।
■ पादप उत्पाद भोजन में अधिक शामिल करें।
■ लाल मांस और अल्कोहल का सेवन कम से कम करें। योग और ध्यान करें।
■ अगर माता-पिता या परिवार के किसी सदस्य को कैंसर है तो विस्तृत जांच कराएं।